!! मकर संक्रांति की सभी कार्यकर्ताओं को हार्दिक शुभकामनाये !!

Mission-Vission

शिक्षा और रोजगार

उद्देश्य : सरकार द्वारा चला जा रहे बिभिन्न परियोजनाओ मे सहयोग कर भारत मे शिक्षा और रोजगार के स्तर को बढ़ाना | बिभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी (एनजीओ / ट्रस्ट / फाउंडेशन / वेल्फफेयर समाज) संगठन (इंडियन और नॉन इंडियन ), और जन-जन से सहयोग प्राप्त कर जन कल्याण से संभन्धित परियोजनाओ का संचालन करना | संस्था के परियोजनाओ के संचालन हेतु बेरोजगार लोगो को रोजगार उपलब्ध करना | भारत के बेरोजगारी प्रतिशत को घटना और मानव जीवन और को समृद्ध बनाना | सभी वर्ग के लोगो के लिया अतिरिक्त रूप से समृद्ध होने का अवसर देना | निर्धारित प्रदेश व जिलो में शिक्षा के स्तर को बढ़ाना |

रक्तदान महा अभियान (Blood Donation)

AIMS & OBJECTIVES:
• Helping the organization of a successful blood donation campaign in all over world.
• Providing the marketing and hospitality of the campaign.
• To provide access of quality health care.
• To create electronic medical records.
• To create clinical & diagnostic services.
• To provide early alerts on disease trends & cause of deaths as per international codes for disease surveillance and rapid action.
• To get integrated state-level holistic view of the resource utilization.
• To monitor identified indicators and to get comparison of efficiency and performance among hospitals.
• To provide evidence based effective and responsive hospital management.
• To provide tools for effective health policy making and planning.

EXPECTED BENEFITS:
• Inculcating the social responsibility sense among students.
• Raising the awareness of the importance of blood donation.
• Increase the number of volunteers for marketing and hospitality.
• Increase the level of collected blood.

कौशल विकास योजना (Learn to Earn Program)

The aim of the scheme is to encourage aptitude towards employable skills and to increase working efficiency of probable and existing daily wage earners, by giving monetary awards and rewards and by providing quality training to them. Training programme have been worked out on the basis of National Occupational Standards (NOS) and qualification packs specifically developed in various sectors of skills. For this qualification plans and quality plans have been developed by various Sector Skill Councils (SSC) created with participation of Industries. National Skill Development Council (NSDC) has been made coordinating and driving agency for the same. The youth comprises over 22% of the Indian population which in turn constitutes a major part of the labor force of the country. But according to the reports of the Financial Express “Only 15%of the young graduates passing out of colleges are employable; the rest are branded ‘unemployable’.” It is not their lack of theoretical knowledge that causes this. Instead, it is the lack of right skills and attitude. There is thus, an increasing concern among the leading employers of the country, about the dearth of ready-to-deliver employees. In addition, the macro perspective affirms that, it is crucial for such young energy to be channelized correctly in economic growth and nation building to elude their addition to family woes, social stress and national misery. Learn to Earn Programme (LTE) is such an initiative of OCP FOUNDATION that aims at creating a pool of young and independent people, from the marginalized section, through skill enhancement in tandem with market requirements. It is an effort towards bridging the gap between demand and supply of skilled manpower in the fast emerging services and retail sectors of modern India. This national level programme trains the urban underprivileged adolescent youth in English Proficiency, Basic Computer Education and Soft Skills for enhancing their prospects of employment in the fast expanding retail, hospitality and BPO sectors.

स्वच्छ भारत – स्वस्थ भारत (स्वास्थ योजना)

“He who has health has hope; and he who has hope has everything” – Arabic proverb India has made rapid strides in the health sector since independence. However, various eye opening data from NFHS clearly indicate that access to healthcare still remains a challenge. Urban slum dwellers suffer from adverse health conditions owing to mainly two reasons –first the lack of education and thus lack of awareness; and second the unwillingness to lose a day’s wage in order to reach the nearest medical facility. The neglect in even the simplest preventive medical treatment usually leads to a more serious ailment and eventually into deaths. The need of the hour is thus a two pronged approach – first to bring quality health care services to doorsteps of the needy and second to promote healthcare awareness and contemporary health care services seeking behavior among the underprivileged. In such a scenario a mobile medical services delivery system is the most practical mechanism. And in subscription to this view, OCP FOUNDATION has initiated the Good health’s on Wheels programme. This is a unique mobile hospital programme that seeks to address problems of mobility, accessibility and availability of primary health care with a special focus on children and women, in urban slums and remote rural areas. The Good health’s on Wheels programme at present has 8 operational projects running in 22 locations covering 170 slums with the population of 4.54 lakh in 9 states of the country. Since inception in 2008 this programme has directly benefitted 7,63,278 beneficiaries. Very Shortly started in other states………

CLEAN INDIA – GREEN INDIA (पर्यावरण सुरक्षा योजना)

धीरे-धीरे मानव जाति पूरी पृथ्वी के विभिन्न क्षेत्रों में बसने लगी और अपनी गुजर-बसर के लिए जंगलों का सफाया कर लकड़ी का ज्यादा-से-ज्यादा उपयोग करने लगी। आवागमन के साधन लकड़ी से बनाए जाने लगे। इस प्रकार जंगलों का उत्तरोत्तर अधिक उपयोग होने लगा एवं जंगल धीरे-धीरे कम होने लगे। कबीलों से होते हुए मानव सभ्यता राज्यों, सल्तनतों, साम्राज्यों तक पहुंची और विकास की गति बढ़ती गई फिर पृथ्वी पर वैज्ञानिक दौर शुरू हुआ और वैज्ञानिक खोजों एवं आविष्कारों से दुनिया भर गई, परंतु इस दौर में मानव ने अपनी आवश्कता से आगे जाकर, लालच का हाथ थाम लिया। फलस्वरूप जंगलों के उपयोग के स्थान पर जंगलों का दोहन प्रारंभ हो गया और लालची मानव ने जंगलों, वातावरण, भूमि, खनिज, पानी इत्यादि प्रकृति प्रदत्त वरदानों का ऐसा दोहन किया कि आज खुद मानव सभ्यता के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। पृथ्वी पर इतना प्रदूषण फैल गया है कि पर्यावरण संरक्षण यदि अभी नहीं किया गया तो प्रलय आने से कोई रोक नहीं पाएगा। बिना पर्यावरण संरक्षण के आज स्थिति यह है कि जंगलों की कटाई हो जाने के कारण वर्षा की स्थिति अनिश्चित हो गई है। जहां अन्य वर्षा होती थी, वहां बाढ़ आ रही है और जहां बाढ़ आती थी, वहां सूखा पड़ रहा है। वर्ष में कभी भी बरसात होने लगती है। कई जीव-जंतु विलुप्ति की कगार पर हैं। हाथी, बंदर इत्यादि जंगली जानवर अक्सर गांवों, शहरों में चले आते हैं, क्योंकि जंगली जानवरों का बसेरा ‘जंगल’ अब उन्हें कम पड़ने लगा है। पूरी दुनिया में कल-कारखानों का ऐसा जाल बिछा हुआ है कि उनसे निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसों जैसे- कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन इत्यादि ने न केवल गांवों, शहरों के वातावरण को दमघोंटू बना दिया है, वरन् अब तो आसमान में ओजोन परत को भी क्षतिग्रस्त कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप एक तरफ तो सूरज की अल्ट्रा वायलेट किरणों का खतरा बढ़ गया है, दूसरी तरफ ग्लोबल वार्मिंग होने से ध्रुवों पर जमी बर्फ पिघलने का अंदेशा हो गया है। हो सकता है किसी दिन ध्रुवों की सारी बर्फ पिघल जाए और समुद्र तल इतना ऊंचा हो जाए कि पूरी धरती समुद्र में समा जाए। वाहनों से निकलने वाले धुएं से शहरों का वातावरण सांस लेने लायक नहीं रह गया है, परंतु कोई दूसरा रास्ता नहीं होने के कारण ऐसे वातावरण में रहने वाले बाशिंदे तरह-तरह की बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। आज गावों, शहरों में जहां देखो, वहां गंदगी फैली रहती है, क्योंकि ठोस अवशिष्टों का सही तरीके से निदान नहीं किया जाता है। खासकर पॉलीथिन का अत्यधिक उपयोग हो रहा है और कचरे के रूप में निकलने वाले प्लास्टिक, पॉलीथिन नष्ट नहीं होती और वातावरण को प्रदूषित करती है। कई दफा कल-कारखानों (जैसे-पेपर इंडस्ट्री, शुगर इंडस्ट्री, डिस्टीलरी) से निकलने वाले रसायनों को आस-पास की जमीनपर ही फैला दिया जाता है, जिससे इन कारखानों के आस-पास इतनी बदबू आने लगती है कि कोई प्राणी वहां गुजर-बसर नहीं कर सकता। इस प्रकार हम देख रहे हैं कि पृथ्वी पर सभी जगह प्रदूषण का प्रभाव पड़ चुका है और अब हमें पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण मुक्ति की किसी परियोजना पर कार्य करना ही होगा। चूंकि पर्यावरण को प्रदूषित मानवों ने ही किया है, अतः इस परियोजना की शुरुआत मानवों की सोच एवं क्रियाकलापों में सुधार लाने से करना होगा। इस दिशा में ‘पृथ्वी सम्मेलन’ विश्व स्तर पर आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें यही विचार-विमर्श होता है कि पृथ्वी को कैसे बचाया जाए, परंतु अफसोस की बात है कि इन सम्मेलनों में आम सहमति नहीं बन पाती है। व्यक्तिगत तौर पर हर व्यक्ति को इस दिशा में ईमानदार प्रयास करना होगा तो ही पर्यावरण संरक्षण हो पाएगा। इस समस्या का समाधान तभी संभव है, जब हर व्यक्ति कुछ त्याग करने को तैयार हो। यदि हर व्यक्ति एक पेड़ प्रतिवर्ष लगाकर उसका रख-रखाव चालू कर दे तो सामाजिक वानिकी सही अर्थों में सफल होगी। हर घर में यदि रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम लग जाए, तो पानी की वर्ष भर कमी न हो। हर व्यक्ति को चाहिए कि सोलर एनर्जी का जहां तक संभव हो उपयोग करे, क्योंकि बिजली पैदा करने में भी बहुत पर्यावरण का नुकसान होता है। कागज के उपयोग में यदि मितव्यतता बरती जाए तो हम काफी जंगलों को बचा पाएंगे। पर्यावरण संरक्षण की परियोजना के उपरोक्त समस्त उपायों का बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक एवं पेपर, दोनों मीडिया द्वारा प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए, ताकि जब समाज के सामने बार-बार उपायों की जानकारी दी जाएगी, तब समाज में इन उपायों को अपनाना शुरू किया जाएगा। फिर वह दिन दूर नहीं होगा कि पर्यावरण संरक्षण की इस योजना से हमारा वातावरण स्वच्छ होगा, स्वास्थ्यप्रद होगा और चूंकि सभी व्यक्ति इस अभियान में शामिल होंगे, सभी अपने आप पर गर्व महसूस करेंगे और बेहतर पर्यावरण का आनंद उठाएंगे।

डिजिटल इंडिया – डेवेलप इंडिया (Computer Education)

Digital India is an initiative by the government of India to ensure that government services are made available to citizens electronically by improving online infrastructure by the increasing internet connectivity. It was launched on July 1, 2015 by Prime Minister Narendra Modi. Digital India is a central programme to make India ready for a knowledge-based future. The focus of the Rs.1.13 lakh crore initiative is on using technology to create a participative, transparent and responsive government.
BENEFITS:
• It will help in decreasing in crime if applied on whole.
• It will help in getting things done easily.
• It will help in decreasing documentation.
• Some of the services which will be provided through this desire effort are digital locker, e-
• education, e-health, e-sign and national wide scholarship portal.
• Provide job for rural areas.
• Improve entertainment and cultural action.
• Sharing your knowledge easily.

SCHOLARSHIP SCHEME (छात्रवृति योजना)

• गाँव की बेटी योजना
• प्रतिभा किरण योजना
• नि:शक्त (अस्थि बाधित / श्रवण बाधित / नेत्रहीन)
• अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति आवास सहायता योजना
• नवयुवक परिषद छात्रवृति योजना
• पदमा केशव छात्रवृति योजना
• इंदौर और इंडसइंड फ़ाउंडेशन छात्रवृति योजना
• अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग मेट्रीकोत्तर छात्रवृति योजना
• अल्पसंख्यक पोस्टमैट्रिक / मेरिट कम मीन्स छात्रवृति योजना
• ………..and more coming soon